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Geeta Jayanti

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 🙏🏼📙🧡 गीता अनूठी है! 🧡📙🙏🏼 कृष्ण ने जो कहा है गीता में, उसमें मत उलझ जाना। न मालूम कितने उस अरण्य में उलझे हैं और भटक गए हैं। कितनी टीकाएं हैं कृष्ण की #गीता पर! मैं कोई टीका नहीं कर रहा हूं।  एक अरण्य खड़ा हो गया है कृष्ण के शब्दों के आस-पास। न मालूम कितने लोग जीवन उसी में बिता डालते हैं। वे गीता के पंडित हो जाते हैं; कृष्ण से वंचित रह जाते हैं।  गीता थोड़े ही सार है; वह तो झील में बना प्रतिबिंब है चांद का। समझ लेना इशारा और झील को छोड़ देना। यात्रा बिल्कुल अलग-अलग है। अगर झील में छलांग लगा ली और चांद को खोजने के लिए डुबकियां मारने लगे, तो तुम टीकाएं ही पढ़ते रहोगे। तब तुम कृष्ण के शब्दों में ही उलझ जाओगे। शब्दों में तो कुछ सार नहीं है।  झील में उतरना ही मत। झील ने तो इशारा दे दिया है ठीक अपने से विपरीत। दिखाई तो पड़ता है प्रतिबिंब झील के भीतर; चांद होता है झील के ऊपर, ठीक उलटा।  शब्द को सुनकर निःशब्द की यात्रा पर निकल जाना। ठीक उलटी यात्रा है। कृष्ण को सुनकर गीता में मत फंसना; कृष्ण की खोज में निकल जाना।  जहां से उठती है गीता, उस #चैतन्य का नाम कृष्ण है...